मेरा नाम दिनेश है| मेरी उम्र 45 वर्ष है| मेरे पिता छोटई है| मेरे दो बेटी और एक बेटा है| मै बनी मजदूरी करता हूँ| मै ग्राम-पेडूका,चौकी-रामेश्वर,थाना-जंसा का मूल निवासी हूँ |
हमे नही मालूम था की बस्ती में आज यह सब होगा| सुबह का समय था| 9 अगस्त 2023 की तारीख
थी| सब अपने कामो में
लगे थे| तभी बस्ती में पुलिस आयी| आते ही तलाशी लेने लगी| 8 अगस्त 2023 को यादव
बस्ती में चोरी हुई थी| जिसका बक्सा पास के भट्टे में फेका था| पुलिस का शक था
चोरी का सामान हमारी बस्ती में है| इस बारे में हम बस्ती वालो को कोई जानकारी नही
थी| पुलिस ने हर घर में तलाशी ली बंद घरो का ताला
तोड़कर सामान बिखेर दिया लेकिन पुलिस को कुछ भी मिला|
सब ने कहा साहब हम लोग नही जानते| लेकिन उस वक्त
पुलिस किसी की बात सुनने को तैयार नही थी| पुलिस
भद्दी-भद्दी गालिया देकर लोगो का सामान बेरहमो की तरह बर्बाद कर रही थी| यह सब देखकर बहुत तकलीफ हो रहा था| कितनी मेहनत
मशक्कत के बाद हम लोगो ने दो वक्त की रोटी इकट्ठा की थी| अभी भी उस दिन को याद
करता हूँ तो आँखों में आंसू आ जाता है|
सामान न मिलने पर पुलिस ने बस्ती के दो लोगो को
चौकी पर हिरासत में रखकर मारा उन पर दबाव बनाया की वह लोग जुर्म कुबूल
करले| जब हम लोगो ने कुछ किया
ही नही तो हम क्यों माने| पुलिस को जब उस दिन कुछ नही मिला तो दुसरे दिन गाँव में
जब चोरी हुई| तो उसकी भी तलाशी हमारे बस्ती में ली गयी| उस वक्त यही लगता की कही
कुछ होगा तो पुलिस उसका जिम्मेदार हमे ही मानेगी| हम लोग दहशत में जीवन गुजार रहे थे| दुसरे दिन भी पुलिस बस्ती से दो लोगो को ले गयी|
उस समय खाना पीना कुछ भी अच्छा नही लग रहा था|
लोगो ने चूल्हा तक नही जलाया था| हर घर में मायूसी थी| कुछ रास्ता सूझ नही रहा था| तो लोगो ने तय किया की हम लोग कचहरी पर धरना
देंगे| भूखे प्यासे परिवार को लेकर हम अपने मांग पर अड़े रहे| तब जाकर 12 अगस्त
2023 को तकरीबन दस बजे उन चारो लोगो की रिहाई हुई| पुलिस ने जो कुछ भी किया उससे
लोग भयभीत है| एक डर का माहौल हो गया है| इस घटना के बाद रात को नीद नही आती| कही
आने जाने का मन नही करता है|
मै चाहता हूँ की उन पुलिस वालो ने जो कुछ भी किया
है| उसकी निष्पक्ष जाँच हो जिससे भविष्य में दुबारा
पुलिस हम लोगो को प्रताड़ित न करे|
संघर्षरत पीड़ित
दिनेश
Comments
Post a Comment