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Showing posts from December, 2023

पुलिस को जब कुछ सुराग नही मिला तो उसने लोगो के घर में घुसकर, खाने पीने की चीज बर्बाद करने लगे!

मेरा नाम बेचना देवी है | मेरी उम्र 65 वर्ष है| मेरे पति का नाम छोटई मुसहर है| मुझे तीन बेटी और दो बेटा है| सभी विवाहित है| मै ईट भट्टे पर बनी मजदूरी करती हूँ| मै ग्राम-पेडूका,चौकी-रामेश्वर,थाना-जंसा,जिला-वाराणसी की मूल निवासिनी हूँ| सुबह का वक्त था| हम लोग अपने-अपने घरो में सोये थे| उस दिन 9 अगस्त 2023 की तारीख थी| तभी पुलिस बस्ती में आयी| उनके साथ गाँव के लोग और प्रधान जी भी थे| पुलिस किस लिए आयी है| किसी को नही पता था| जब पुलिस संजय का ताला तोड़कर तलाशी लेने लगी तो लोग घबरा गये| तभी पता चला की गाँव में संतोष यादव के यहाँ चोरी हुई है| पुलिस को जब कुछ सुराग नही मिला तो उसने लोगो के घर में घुसकर खाने पीने की चीजो को बर्बाद करने लगे| जब हम चोर नही है तो सामान कहाँ से बरामद होगा| लेकिन पुलिस यह बात मानने के लिए तैयार नही थी| घर का सब कुछ बर्बाद कर दिया| जब कुछ नही मिला तो पुलिस वाले हम लोगो को गाली देकर डराने धमकाने लगे और कहने लगे कि जब तुम लोगो पर डंडा बरसेगा तब तुम लोग बताओगे सामान कहाँ है| पुलिस की यह बात सुनकर हम हैरान हो गये| हमारा जन्म यही हुआ है| मै यहाँ की बेटी हूँ| आज त

जब भी हम थाने पर बेटी के बारे में पता लगाने जाते है, तो बोला जाता है हम तुम्हारे बाप के नौकर नही है|

       मेरा नाम सोएब है | मेरी उम्र 59 वर्ष है | मेरे पिता मो० इदरीश है | मै अशिक्षित हूँ | मेरे छ: बेटे व् दो बेटिया है | जिसमे चौथे नम्बर की 26 वर्षीय विवाहित बेटी तकरीबन दो महीने से लापता है | मै अहमदनगर , बजरडीहा , थाना-भेलूपुर , जिला-वाराणसी का मूल निवासी है |           मुझे नही मालूम था कि आज मेरी बेटी के साथ इतना बड़ा हादसा होगा | मुहर्रम की सात तारीख 26 जुलाई 2023 को वह अपने ससुराल लोहता जाने के लिए बजरडीहा ऑटो स्टैंड गयी | 29 जुलाई को जब बेटा खाने पीने की चीज लेकर उसके ससुराल अपनी बहन को देने गया | तो उसके शौहर ने कहा जैनब यहाँ नही है | यह सुनकर मेरा बेटा घबरा गया | उसने यह बात हमे बतायी बेटी कहाँ चली गयी | हर जगह रिश्तेदार नातेदार ऑटो स्टैंड वालो से सब जगह खोजा | लेकिन कही कोई खबर नही मिली | स्थानीय चौकी गये , तो मुहर्रम की वजह से पुलिस वालो की जगह-जगह डयूटी लगी थी | वहाँ से भी कोई मदद नही मिली | हमारी घबराहट बढ़ती गयी | मेरी बेटी का ससुराल वालो के अत्याचार की वजह से दिमागी हालत ठीक नही थी | जब से वह व्याह के गयी है | तब से उसके शौहर और ससुराल वाले प्रताड़ित कर रहे है

मुझे नही मालूम था कि आज हम लोगो के साथ इतना बुरा होगा !

  मुझे नही मालूम था कि आज हम लोगो के साथ इतना बुरा होगा ! मेरा नाम अंजुम परवीन है| मेरी उम्र 23 वर्ष है| मेरे पति मुमताज अंसारी है| मेरे चार बच्चे तीन बेटी और एक बेटा है| मै ग्राम कल्याणपुर,थाना-पिपरवार,जिला-चतरा की मूल निवासिनी हूँ| मुझे नही मालूम था कि आज हम लोगो के साथ इतना बुरा होगा| 5 अगस्त 2021 की तारीख थी| मेरा छोटा बछड़ा अपनी रस्सी खुलाकर रोड की तरफ चला गया| रोड पर एक बुडी औरत गुजर रही थी| वह बछड़े की रस्सी से फंसकर गिर गयी| किसी राहगीर ने उस बूढी औरत की मदद कर उसे उठाकर उसके घर पहुचाया| कुछ देर में बछड़ा घर आ गया| उस वक्त हम लोग इन सब बातो से अन्जान थे| हमने बछड़े को बांध दिया|शाम के पांच बजे थे हम सभी घर पर ही थे|   तभी अचानक युनुस,आलम,तस्लीम,तनवीर,अतहर,अजहर,मजहर,वसीम और अशफाक लाठी डंडा,तलवार और राड लेकर मेरे घर में घुस आये| उन्हें इस तरह आता देख मै घबरा गयी| वह लोग आते ही हमे माँ-बहन की भद्दी-भद्दी गालिया देकर हमारे साथ बदसलूकी करने लगे| हमने कहा हमारी गलती क्या है आप लोग हमारे साथ बदतमीजी क्यों कर रहे है| इस पर वह लोग लाठी डंडा चलाकर बुरी तरह मार पीट करने लगे| उस वक्त घर मे

आस –पास के जितने लोग खड़े थे सभी से दरोगा साहब पूछ रहे है थे की किसने देखा है? इस लडकी के साथ बलात्कार होते और कहाँ ऊँगली किया गया? दरोगा साहब का ये शब्द सुनते ही लोग अवाक् रह गये!

  आस –पास के जितने लोग खड़े थे सभी से दरोगा साहब पूछ रहे है थे की किसने देखा है? इस लडकी के साथ बलात्कार होते और कहाँ ऊँगली किया गया? दरोगा साहब का ये शब्द सुनते ही लोग अवाक् रह गये ! मेरा नाम शाहाना परवीन उम्र- 19 वर्ष, है| मेरे पिता का नाम अख़लाक़ अहमद मं०न० संख्या जे0 33/26 कच्चीबाग़, आज़ाद पार्क,वाराणसी की निवासी हूँ|मेरे पिता जी मजदूरी करके जीवन यापन करते है| मै जाति की मुस्लिम हूँ| मेरे घर की आर्थिक हालत ठीक नही है| लाकडाउन के पहले बिनकारी का काम होता था| लेकिन जब से लांकडाउन लगा है| तब से मेरा परिवार भुखमरी के कगार पर खड़ा हो गया है| इसलिए चाय पान की दुकान खोलकर गुजर–बसर करते है| घटना दिनांक 30दिसम्बर,2021 रात 9 बजे के करीब मेरे चाचा रिजवान अहमद, समीम अहमद (सौतेले चाचा), बड़े अब्बू रमजान अली, के तीन बेटे आशिफ जमाल, (बड़े भाई) शाहीद जमाल,(मंझले) और छोटे में अनस उक्त सभी एकजुट होकर मेरे अब्बू के कमरे अन्दर आकर भद्दी-भद्दी गालिया देते हुए   अब्बू के ऊपर जानलेवा हमला कर दिये| मेरे अब्बू उस वक्त अपने कमरे में बिल्कुल अकेले थे| उस वक्त घर में अम्मी, बहन, भाई सभी दूसरे कमरे में थे| जब वह ल

पुलिस कई दिनों तक गैर क़ानूनी तरीके से हमे हिरासत, में रखकर बुरी तरह मारा पीटा और बेटी से जबरदस्ती जुर्म कुबुलवाया !

  पुलिस कई दिनों तक गैर क़ानूनी तरीके से हमे हिरासत, में रखकर बुरी तरह मारा पीटा और बेटी से जबरदस्ती जुर्म कुबुलवाया! मेरा नाम राजेन्द्र उर्फ़ राजेश वनवासी है| मेरी उम्र 42 वर्ष है| मेरे पिता स्व० लालचंद है| मै अशिक्षित हूँ| मै गाजियाबाद में मजदूरी कर अपने परिवार का जीवन यापन करता हूँ| मै ग्राम-श्रीनाथपुर(निन्दनपुर),थाना-फूलपुर,जिला-वाराणसी का रहने वाला हूँ| मुझे नही मालूम था कि आज मेरे साथ इतनी बड़ी घटना घटेगी|7 नवम्बर 2021 की तारीख थी| उस वक्त रात के तकरीबन साढ़े दस बजे थे| दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी| मेरी पत्नी ने दरवाजा खोला उस वक्त मै सोया था   पुलिस की आवाज सुनकर मेरी नीद खुल गयी| तकरीबन नौ पुलिस वाले घर में घुस आये सभी वर्दी में थे| इतनी पुलिस देखकर मै घबरा गया| तभी पुलिस वालो ने पूछा तुम्हारी बेटी कहा है मैंने कहा साहब बगल वाले कमरे अपने घर वाले के साथ सो रही है|इस पर पुलिस कमरे के दरवाजे पर कई लात मारा| जिससे दरवाजे की सिटकनी टूट गयी| पुलिस कमरे में घुसकर मेरी बेटी आशा और उसके पति करन को पकड़कर ले जाने लगी| मैंने कहा साहब क्या बात है इन्हें क्यों ले जा रहे है| यह सुनते ही पुल

अगर हम लोग सामने आएंगे, तो पुलिस हमारा एनकाउंटर कर देगी!

  अगर हम लोग सामने आएंगे, तो पुलिस हमारा एनकाउंटर कर देगी! मेरा नाम मुन्ना प्रसाद है| मेरी उम्र 47 वर्ष है|मेरे पिता श्याम लाल है| मैंने एम०ए तक की शिक्षा ली है| मेरा खुद का व्यवसाय है| मुझे दो बेटे है| मै ग्राम पलिया,थाना-रौनापार,जिला-आजमगढ़ का मूल निवासी हूँ| मै एक सामाजिक आदमी हूँ|मै काम के साथ लोगो की मदद भी करता रहता हूँ| जो भी मेरे पास किसी काम के लिए आता है| मेरी कोशिश होती है की वह मायूस न लौटे| यही बात कुछ लोगो को नागवार गुजरती है| वर्तमान समय में मेरी पत्नी ग्राम प्रधान है| उसके पहले भी हमारे घर और परिवार में लोग प्रधान हुए है| हम लोग नि:स्वार्थ भाव से लोगो की सेवा करते आ रहे है| मुझे याद है मै उस दिन मै भट्टे पर था| 29 जून 2021 की तारीख थी| शाम का वक्त था| मेरे फोन की घंटी बजी मैंने फोन उठाया तो उधर से आवाज आयी| मंगरी बाजार में विवाद हो गया है| यह सुनकर मै मौके पर गया|वहा पर सौ नम्बर की पुलिस आयी थी| जिन लोगो को चोट लगी थी| मैंने दीवान जी से कहा की उनको अस्पताल लेकर चले वहा उनका इलाज और मेडिकल दोनों हो जायेगा| दीवान विवेक द्दिवेदी अपने बात पर अड़े रहे उन्होंने कहा पहले थ

एसओ साहब ने कहा इस बार सुलह कर लो अगर दुबारा यह तुम्हारे साथ कुछ करेगा, तो इसी प्रार्थना पत्र पर मै उसके खिलाफ कार्यवाही करूंगा

मेरा नाम तारा देवी है| मेरी उम्र 32 वर्ष है| मेरे पति श्री पप्पू यादव है| मैंने इंटर तक की शिक्षा ली है|मेरी दो बेटिया है| बड़ी बेटी 14 वर्ष की छोटी बेटी 9 वर्ष की है| मेरे पति गाड़ी चलाने का काम करते है और मै आशा वर्कर हूँ| जो भी आमदनी होती है उसी से हमारा जीवन यापन होता है|मै ग्राम-सरैया,पोस्ट-उकथी,थाना-चौबेपुर,जिला-वाराणसी की रहने वाली हूँ|   मैंने हर मुश्किलों का सामना किया लेकिन अब मेरी इज्जत पर बंध आयी है तो मै अब चुप नही रहूंगी| मेरा जन्म ठाकुर परिवार में हुआ था| मै छोटी थी तभी मेरे पिता गुजर गये| मेरी परवरिश मेरी माँ ने मेहनत मजदूरी करके की| उसने खुद परेशानी उठायी लेकिन मुझे पढ़ाया लिखाया| माली हालत ठीक न होने की वजह से वह मेरी शादी नही कर पा रही थी| लोगो का डिमांड इतना था की हमारी हैसियत नही थी थी की हम पूरा कर सके| मेरी शादी के फ़िक्र में माँ परेशान रहती थी|तभी किसी दुसरे की मदद से वर्ष 2005 में पप्पू यादव से रिश्ते की बात आयी| बेटी का घर बस जाये माँ ने रिश्ता तय कर मेरा अंतरजातीय विवाह कर दिया|शादी के कुछ दिन बाद मेरी माँ गुजर गयी| मायके में कोई सहारा न रहने पर मेरे जेठ जय प

चंद रुपयों के लिए मेरे पति पर फर्जी मुकदमा में फसाकर जेल में हत्या कर दिया गया| मै साहिबा बानो उम्र- 38 वर्ष, मेरे पति का नाम मरहूम इब्राहीम ग्राम- बनौरा, पोस्ट- तरावा, जिला- सोनभद्र की रहने वाली हूँ| मेरे छोटा सा परिवार था जिसमे की मै और पति मेरी तीन बेटी एक बेटा साथ रहते थे| मेरा परिवार खुशहाल था| हम दोनों पति पत्नी ने मेहनत मजदूरी कर के किसी तरह चंद रूपये अपने जीवन की खुशियों के लिए जमा किये थे| उन पैसे से हमारे पति और हम दोनों ने आपसी सहमती से कुछ पैसे घर के और कुछ मै अपने बहन से ली थी और कुछ पैसे गाँव से लेकर हमने अपने घर खुशियों की सवारी के लिए एक ऑटो टेम्पू खरीद कर लाये थे| जिससे हमने जीवन के कई बड़े सपने देखे थे| पर क्या पता था की यही टेम्पू मेरे पति के जीवन का काल बन जाएगा| 7 फरवरी, 2021 ही वह मनहूस दिन था| जब मेरे पति रोबर्ट्सगंज से टेम्पू में सवारी लेकर डाला के लिए जा रहे थे की तभी उनकी गाडी को पुलिस बेगारी के लिए पकड़ लिया| इसकी जानकारी हमें तब हुई जब मेरे बहनोई कुतुबुदीन ने फोन पर बताया की गाडी पुलिस पकड़ ली है| जिसके बाद हमें पता चला तो मै खुद चोपन थाना चली गयी| यह पता करने के लिए की मेरे पति को गाडी के साथ क्यों पकड़ा गया है? दरोगा मेरी बातो को अनसुना करते हुए तरह –तरह की बात करने लगे| जिसके बाद दरोगा साहब ने बोले की 10,000 रुपया लेकर आओ तब तुम्हारे पति को छोड़ेंगे| हम बोले साहब गरीब है| इतना पैसा कहा से ला पायेंगे| मै तुरत हाथ जोड़ने लगी| परन्तु थाना प्रभारी ने मेरी एक नहीं सुनी फिर हम सोचे गाडी छुड़ाना भी जरुरी है| जिसके लिए हम थाना को 1500/- रूपये दिये और मेरे पति के जेब में 500 था| थाना प्रभारी जेब का पैसा भी रख लिये| हम दरोगा से बार बार बोल रहे थे की सर मेरे पति का जुर्म बता दीजिये| वह क्या गलती किये है| लेकिन दरोगा साहब कुछ भी नहीं बोल रहे थे| बस दरोगा साहब इतना बोले की 10,000 नहीं दोगी तो तुम्हारे पति को जान मार देंगे| हमें उस समय लगा की यह ऐसा क्यों बोल रहे है| मै उनसे पूछी की आप कैसे मेरे पति को जान मार दीजियेगा| कोई बड़ा अपराधी है क्या, तो वो बोले की तुम लोग मुसलमान हो, और कुछ भी करते हो, जिसके बाद थाना में बहुत बहस हो गया, फिर इतना सुनकर वकील को बुलाई परन्तु दरोगा ने वकील का भी कुछ नहीं सुना| जिसके बाद मै घर चली आयी और मेरे पति को थाना में ही रखा| हमें बार बार उनकी चिंता सता रही थी| पूरी रात मै अपने पति के बारे में ही सोचती रही और बच्चो के सवाल की अब्बू कब आयंगे| बच्चो का सवाल सुनकर जवाब नही दे पाती किसी तरह बच्चो को टाल मटोल करके सुला दिए| मेरी आँखों से नींद गायब हो गयी थी| हमें लग रहा था कब सुबह हो और मै जाकर उन्हें देख पाती| जीवन में कभी थाना और पुलिस से वास्ता नहीं हुआ था| यह सब कुछ पहली बार हो रहा था| जो मेरे लिए बहुत कठिन था फिर भी मै हिम्मत करके पति को छुड़ाने के लिए कर रही थी| सुबह हम वकील को लेकर थाने गये| परन्तु पुलिस कुछ भी नहीं सुना और और मेरे पति को कचहरी से जेल भेज दिये| यह सब सोच-सोच कर मै काफी परेशान हो रही थी| मेरे वकील कह रहे थे की कुछ दिन में छुड़ा देंगे| बस यही एक उम्मीद था| जो हमें थोडा हिम्मत मिल रहा था| जिसके बाद शाम को मै वापस घर आ गयी फिर वही आलम था| बच्चे अब्बू के बारे में बार–बार पूछते है| मै उन्हें फिर वही बताती गाँव वालो के भी हजारो सवाल थे कैसे क्या हुआ? यह सब सोच कर मै खुद चिंता में थी| हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था| इस तरह दो दिन गुजरे ही थे की 12 फरवरी को फोन आया की मेरे पति ने जेल में फ़ासी लगाकर आत्महत्या कर लिया| इस खबर ने मेरे सर से आसमान और पैर से जमीन खिसक लिया| मैंने खुदा से पूछा या अल्लाह यह क्या हो गया| मेरे आँखों के सामने अँधेरा छा गया| हमें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था| मै रोने चिल्लाने लगी| यह सब देख बच्चे भी रोने लगे| मै बिलकुल बेकाबू हो गयी| मेरा हौसला और हिम्मत पूरी तरह टूट गया| मेरे जीवन पर बहुत बड़ा कहर ढाया गया| उस पुलिस वाले पर हमें गुस्सा भी आ रहा था| मै भागी-भागी जिला-अस्पताल गयी| जहा पर पुलिस वालो पर मै खूब चिल्लायी| मै पूछी की हम जिन्दा दिये थे| आप लोगों ने मेरे पति को मार दिया| आखिर क्या गलती किये थे| मेरा पति जिसे आप मार दिये| मै रो रही थी और गुस्से से चिल्ला भी रही थी| हमने उनके द्वारा दिये गये किसी भी पेपर पर हस्ताक्षर नहीं किया| मेरे परिवार वाले भी आ गये| मेरी अम्मी और अन्य परिजन भी थे| मै अपने शौहर को उस हाल में देख कर बेहोश हो रही थी| पोस्टमार्टम कराने के लिए हॉस्पिटल में 11 फरवरी के शाम को ही पुलिस मेरे शौहर को ले आया था| उसी दिन पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस मेरे पति के डेड बाड़ी और मुझे बेहोशी हालत में लाकर घर छोड़ दिए| जब बाड़ी को नहलाने के लिए लोगो ने खोला तो पता चला की मेरे पति की जेल में बेरहमी से पिटाई किया गया है| उनके पुरे शरीर में जगह - जगह मार के निशान थे| जो की कहि काला कहि लाल हो गया था| मेरे पति को कमर गर्दन और पैर में पिटाई का निशान पड़ा हुआ था| दिखने से लग रहा था की मानो बन्दुक की बाट से मारा गया हो| गाँव वालो ने और सभी ने मार के बारे में पुलिस को बोला पर पुलिस कुछ नहीं बोली और तब तक पुलिस मेरे घर के पास से नहीं गई जब तक मेरे सौहर को मिट्टी नहीं पड़ गया| तब तक पुलिस डेड बाड़ी को छोडकर हटी नही| हमें पूरा दुनिया जंगल लग रहा था| सब कुछ बेकार किसी काम का प्रतीत नहीं हो रहा था| सब लोग हमें हिम्मत दे रहे थे पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था| कुछ वक्त बीतने के बाद हमें लगा की हमें पता करना चाहिए की मेरे पति की मौत कैसे हुई और इसके लिए मै हॉस्पिटल गई जहा पर डाक्टर से बात किये तो डाक्टर बताया की आपके पति की मौत अस्पताल में नहीं हुआ उधर से ही मृत लाया गया था| मेरा वकील भी मेरे लिए कुछ नहीं कर पाया| इस तरह मै पूरी तरह से टूट गई घर में दाना दाना के लिए महोताज़ हो गयी| जिसके बाद मै हिम्मत करके किसी तरह ऑटो चलवा रही हूँ| ताकि घर का खर्च चला सकू कही से कोई सहारा नहीं है| मै चाहती हूँ की जिस तरह मेरे पति को फर्जी तरीके से पुलिस द्वारा लेजाकर जेल में बड़ी बेरहमी से मार दिया गया| उसी तरह उनके साथ भी कानूनी कार्यवाही हो| जिसे मुझे तसल्ली मिले की मेरे पति के अपराधी को सजा मिली| आपको यह सब बताकर फिर एक उम्मीद जगी की हमें इन्साफ मिलेगा|

चंद रुपयों के लिए मेरे पति पर फर्जी मुकदमा में फसाकर जेल में हत्या कर दिया गया| मै साहिबा बानो उम्र- 38 वर्ष, मेरे पति का नाम मरहूम इब्राहीम ग्राम- बनौरा, पोस्ट- तरावा, जिला- सोनभद्र की रहने वाली हूँ| मेरे छोटा सा परिवार था जिसमे की मै और पति मेरी तीन बेटी एक बेटा साथ रहते थे| मेरा परिवार खुशहाल था| हम दोनों पति पत्नी ने मेहनत मजदूरी कर के किसी तरह चंद रूपये अपने जीवन की खुशियों के लिए जमा किये थे | उन पैसे से हमारे पति और हम दोनों ने आपसी सहमती से कुछ पैसे घर के और कुछ मै अपने बहन से ली थी और कुछ पैसे गाँव से लेकर हमने अपने घर खुशियों की सवारी के लिए एक ऑटो टेम्पू खरीद कर लाये थे | जिससे हमने जीवन के कई बड़े सपने देखे थे| पर क्या पता था की यही टेम्पू मेरे पति के जीवन का काल बन जाएगा| 7 फरवरी, 2021 ही वह मनहूस दिन था| जब मेरे पति रोबर्ट्सगंज से टेम्पू में सवारी लेकर डाला के लिए जा रहे थे की तभी उनकी गाडी को पुलिस बेगारी के लिए पकड़ लिया| इसकी जानकारी हमें तब हुई जब मेरे बहनोई कुतुबुदीन ने फोन पर बताया की गाडी पुलिस पकड़ ली है| जिसके बाद हमें पता चला तो मै खुद चोपन थाना चली गयी|