वाराणसी जिले के जन्सा थानान्तर्गत पेडूका मुसहर बस्ती के संघर्षरत पीड़ित जिनका जीवन सामान्य था| वह बनी मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रहे थे| लेकिन स्थानीय लोगो और पुलिस द्वारा बेबुनियाद तरीके से उन पर चोरी का आरोप लगाते हुए| उनकी बस्ती में जाकर बिना किसी वारंट के तलाशी लेकर उनकी गृहस्थी को तहस नहस कर दिया| उसके बाद शक के आधार पर दो लोगो को चौकी पर हिरासत में रखा| उसी दौरान गाव में कही और चोरी हुई तो दुबारा पुलिस उस मुसहर बस्ती में जाकर दो और लोगो को चौकी पर ले गयी|
पुलिस सुप्रीम कोर्ट के डी के बसु गाइड लाईन का उल्लंघन करते हुए चारो लोगो को चार दिन तक हिरासत में रखकर यातना दी| जब बस्ती वालो ने जिला मुख्यालय पर इसके खिलाफ धरना दिया| तो सादे कागज पर हस्ताक्षर कराकर उन चारो को रिहा किया गया| इस घटना से पीडितो के अंदर डर बैठ गया| उन्हें इस बात का भय सता रहा था की पुलिस दुबारा उनके साथ कोई दुर्व्यवहार न करे|पूरी बस्ती इससे प्रभावित थी|
यह संघर्षरत पीड़ित पुलिस के इस बेबुनियाद आरोप से मानसिक रूप से परेशान थे| जिस पर संस्था की प्रशिक्षित टीम द्वारा उन्हें मनोवैज्ञानिक सामाजिक सपोर्ट देते हुए संघर्षरत पीड़ित करमु,अच्छेलाल,उर्मिला,लालमनी,अनीता,संगीता,रुना,उषा,मेहीलाल,जड़ावती,संजय,शीला,बच्चेलाल,बेचना,छोटई,दिनेश,शंकर.कबुतरा,संजू,बुल्लू,सुद्दू,फेकू,सुनीता,चंदा,लक्ष्मीना को टेस्टीमोनियल थैरपी प्रदान की गयी | 6 दिसम्बर 2023 को मानवधिकार जन निगरानी समिति (PVCHR) ने United Nations Voluntary Fund for Victims of Torture की मदद से उन पीडितो को सम्मानित करने के लिए उनकी स्वव्यथा कथा पढकर उन्हें अंगवस्त्रम और उनकी स्वव्य्था कथा देकर उन्हें सम्मानित किया गया| जिससे वह पुन: समाज की मुख्य धारा से जुड़े|
’हमें लगातार चार दिनों तक पुलिस चौकी में रखकर मानसिक और शारीरिक यातना दिया गया, जिससे हम घबराकर गुनाह कुबूल कर ले’’
मेरा नाम करमु मुसहर है|मेरी उम्र 50 वर्ष है| मेरे पिता पंचम मुसहर है| मुझे पांच बेटे और चार बेटिया है|जिसमे चार बेटे और सभी बेटियों की शादी हो चुकी है| 17 वर्ष का छोटा बेटा अभी अविवाहित है| मै ईट भट्टे पर मजदूरी करता हूँ|मै ग्राम-पेडूका मुसहर बस्ती,चौकी रामेश्वरम,थाना-जंसा,जिला-वाराणसी का मूल निवासी हूँ|
मै नही जानता था कि पुलिस हम लोगो के साथ यह बर्ताव करेगी| 9 अगस्त 2023 की सुबह थी| सब लोग अपने कामो में लगे थे| तभी बस्ती में पुलिस, ग्राम प्रधान और गाव के लोग आये| पता चला की संतोष यादव के यहा चोरी हुई है| उसी की तलाशी लेने पुलिस बस्ती में आयी है| आते ही पुलिस ने मेरे घर के दरवाजे पर अपनी कुतिया को बैठाकर मेरे बेटे के घर की तलाशी लेने लगी| जब कुछ नही मिला तो पूरी मुसहर बस्ती में तलाशी शुरू कर दी।
तलाशी के नाम पर पुलिस वालों ने कपड़े, बर्तन, घरेलू सामान फेंकने शुरू कर दिए। यहां तक कि घर में रखे अनाज (चावल, गेहूं और आंटा) को बिखरा दिया। फिर भी पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लगा। काफी देर तक ये सब चलता रहा। पुलिस वालों ने धमकी तक दी की चोरी का सामान जमा करो नही तो ठीक नही होगा।"
"यह कहते हुए पुलिस वापस चली गयी|पुलिस के जाने के बाद बस्ती के सभी लोग अपना सामान समेटने लगे|तभी तकरीबन तीन बजे पुलिस वापस पेंडुका मुसहर बस्ती में आयी|चोरी के पूछताछ के लिए मुझे और मेरे बेटे संजय को जबरन पकडकर रामेश्वर पुलिस चौकी ले जाने लगी। तब हमने पुलिस वालो से कहा कि पेट्रोल डालकर मेरा घर फूंक दो या हमें फांसी पर लटका दो। हमने चोरी नहीं की है| इसके बावजूद पुलिस हमे ले गयी| रामेश्वर चौकी में मुझे और मेरे बेटे को टॉर्चर किया गया। जबरदस्ती जुर्म कुबुलवाने के लिए रामेश्वर चौकी इंचार्ज ने हम दोनों का बाल पकड़कर घसीटा और हम पर दबाव डाला।
हमने कोई चोरी नही की तो हम क्या बोलते| हमने तो पुलिस से पहले ही दिन कह दिया था| कि हमने चोरी नहीं की है। भले ही हमारी जान चली जाए, पर हम जबरन गुनाह कुबूल नहीं करेंगे।तकलीफ तो बहुत हुई| अभी भी सोचता हूँ तो सब कुछ आँखों के सामने दिखाई देता है| अफ़सोस तो इस बात का है|दुसरे दिन कही गाव में चोरी हुई तो उसका जिम्मेदार भी पुलिस हमे मानने लगी| दुसरे दिन बस्ती में तलाशी लेकर मेरे दो और बच्चो को पकडकर चौकी ले आयी|
जिससे बस्ती के सभी लोग डर गये| हमें लगातार चार दिनों तक पुलिस चौकी में रखकर मानसिक और शारीरिक यातना दिया गया। जिससे हम घबराकर गुनाह कुबूल कर ले| पुलिस ने बहुत कोशिश की,लेकिन हम लोग हिम्मत नही हारे| बस्ती के सभी लोग पुलिस के इस बर्ताव के खिलाफ कचहरी पर धरना देने लगे|
भूखे प्यासे रात दिन सब हम लोगो की रिहाई की मांग करने लगे। मुसहर बस्ती के लोगों का कहना था कि जिस दिन पुलिस ने इस बस्ती में इस तरह की कार्रवाई की, उसके बाद कई दिनों तक किसी के घर खाना नहीं बना। बच्चे भूख से तड़पते रहे।यह सब सुनकर बहुत तकलीफ हुई|बस्ती में सन्नाटा सा पसरा था| लोगो को इस बात का भय था की अगर बस्ती में रहे तो पुलिस हमे भी उठा ले जायेगी|
12 अगस्त 2023 को तकरीबन दस बजे रात पुलिस ने हम लोगो से सादे कागज पर हस्ताक्षर कराकर छोड़ा|लेकिन अब पहले जैसा कुछ भी नही रहा| डर सा लगा रहता है| पुलिस का कोई भरोसा नही है| उसने बेवजह हम गरीबो को परेशान किया| इस घटना ने हमे अंदर से कमजोर कर दिया है|रात को आँख बंद करता हूँ|तो बार-बार वही सब आँखों के सामने दिखता है|
मै बस यही चाहता हूँ कि पुलिस ने हम लोगो पर जो बेबुनियाद इल्जाम लगाया है| बेवजह चार दिनों तक हमे हिरासत में रखा है|उसकी निष्पक्ष जाँच हो| जिससे हमे न्याय और सुरक्षा मिल सके|
‘’पुलिस के इस बर्ताव से सभी के मन में डर बैठ गया,अगर कही भी चोरी हुई तो पुलिस हमे ही पकड़कर ले जाएगी’’
मेरा नाम संगीता है|मेरी उम्र 26 वर्ष है|मेरे पति राजेश है| मेरे तीन बच्चे दो बेटा और एक बेटी है| हम सीजन भर ईट भट्टे पर पथाई का काम करते है| जब सीजन नही रहता तो खेत में काम करते है| उसी से परिवार का पालन पोषण होता है| मै ग्राम पेडूका मुसहर बस्ती, चौकी-रामेश्वर,थाना-जन्सा,जिला-वाराणसी की मूल निवासिनी हूँ|
हमे नही मालूम था कि पुलिस आज इस बस्ती में इतना बड़ा तांडव करेगी| 9 अगस्त 2023 की सुबह थी| बस्ती में कुछ लोग उठकर शौच के लिए गये थे| कुछ अभी अपनी नीद पूरी कर रहे थे|तभी अचानक बस्ती में पुलिस,प्रधान और गाव वालो को देखकर सब घबराकर उठ गये| लोगो के मन में था इतनी सुबह पुलिस बस्ती में क्या करने आयी है| उसके पास कुतिया भी थी | आते ही वह लोग संजय के दरवाजे पर कुतिया बैठाकर उसका ताला तोड़ने लगे |
पुलिस को ऐसा करता देख सब बस्ती वाले डर गये |संजय तकरीबन एक महीने से अपने ससुराल में रहकर पत्नी का इलाज करा रहा है| सब के मन में यही सवाल था की पुलिस किस बात की तलाशी ले रही है| तभी पता चला की गाव में संतोष यादव के यहा चोरी हुई है|उसी की बरामदगी के लिए पुलिस बस्ती में तलाशी ले रही है|
जब संजय के घर में कुछ नही मिला तो पुलिस बस्ती के सभी घरो में घुसकर लोगो के घर में रखे अनाज और सामान को बिखेर दी| जब कोई कुछ बोलता तो पुलिस भद्दी-भद्दी गालिया देते हुए लोगो को धमकाती साले चोरी कर बहस करते हो| पुलिस को बस्ती से कुछ नही मिला तो वह वापस चली गयी| लेकिन थोड़ी देर बाद बस्ती में आकर दो लोग करमु और संजय को जबरन चौकी ले गयी|
जब हम लोगो ने इसका विरोध किया तो पुलिस ने कहा पूछताछ कर छोड़ देंगे| दुसरे दिन गाव में चोरी हुई तो पुलिस वापस बस्ती में आकर फिर हमारे घरो में तलाशी लेने लगी| और बस्ती के दो लोगो को फिर चौकी ले गयी| पुलिस के इस बर्ताव से सभी के मन में डर बैठ गया | अगर कही भी चोरी हुई तो पुलिस हमे ही पकड़कर ले जाएगी| सब के मन में यह सवाल उभरने लगा| लोगो ने तय किया की पुलिस हम लोगो के साथ जो सुलूक कर रही है| वह गलत है| हम लोग इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे|
कचहरी पर लोग धरने में बैठ गये| बस्ती में एक दो लोग थे| आदमी तो भय से बस्ती में नही जा रहे थे|पुलिस कही उन्हें गिरफ्तार न कर ले| अभी भी उस दिन को याद करती हूँ तो बहुत तकलीफ होती है| छोटे-छोटे बच्चो को लेकर भूखे प्यासे हम लोग धरने पर बैठे रहे|
हम गरीब मुसहर जाति के लोग है| पुलिस को मालूम है की इस बस्ती में आसानी से हम लोगो को गिरफ्तार कर सकते है|धरने के बाद पुलिस ने 12 अगस्त 2023 को उन चारो को सादे कागज पर हस्ताक्षर करके तकरीबन दस बजे रात रिहा किया|
इस घटना के बाद से लोगो के मन में हर वक्त डर सा बैठ गया है| पहले जैसा कुछ नही रहा|रात को नीद नही आती कही आने जाने का मन नही करता है|
हम चाहते है| कि इस पुरे मामले की निष्पक्ष जाँच हो जिससे भविष्य में दुबारा पुलिस हमारे साथ दुर्व्यवहार न करे|
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