रोज की तरह (13 जुलाई 2020) उस रात भी मैंने खाने के लिए उतनी रोटिया बनायी थी | उस दिन सब्जी थोड़ी अच्छी बनी थी | बच्चे खाना खा चुके थे | बच्चो के साथ रजनी ने भी खाना खा लिया था | तभी पति आ गये मैंने उन्हें खाना दिया तो वह रजनी (दूसरी पत्नी) को खाने के लिए बुलाने लगे | उसने कहा मैंने खाना खाया है | तो उसे जबरदस्ती खाने के लिए बैठाया | वह मुझसे और रोटी मागने लगे रोटी चौके में नही थी | इसी बात को लेकर वह मेरे पास आये बोले खाना कैसे कम हुआ | मैंने कहा अभी बना देती हूँ | इस पर वह मेरा बाल पकडकर दीवाल में माथा लड़ा लड़ाकर मारने लगे | रजनी बोल रही थी क्यों मार रहे है मैंने पहले खाना खाया है | लेकिन वह सुन नही रहे थे मेरा बाल घसीटते हुए मुझे आगन में ले जाकर बुरी तरह पीठ पर लात घुसो से मारे | जब मै गिर गयी तो मेरे सिर पर अध्धा चलाया | उस समय मेरे आँखों के सामने अँधेरा छा गया | कुछ देर तक वही पड़ी रही | जब थोड़ी हिम्मत हुई तो उठकर कमरे में गयी | मेरा सिर फटा जा रहा था | बदन तेज दर्द हो रहा था | मुझे उस समय बहुत गुस्सा आ रहा था | ( Excerpt from the testimony of Pratima